आँखों में तैरते भविष्य के सपने, चाहतें, ऊँचा मुकाम और महत्वाकांक्षाएंँ इंसान को कब उसके परिवार, गाँव व देश से दूर परदेश में ले आती है, वह स्वयं भी नहीं जान पाता। लेकिन अपने देश की मिट्टी, भाषा, कला, संस्कृति, त्यौहार एवं पारंपरिक मूल्यों से उसका प्रेम एवं लगाव कम नहीं होता बल्कि और बढ़ जाता है, और इस लगाव को बरकरार रखने के लिए जो संस्थाएं निरंतर प्रयासशील हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण नाम है, “भारतीय प्रवासी परिषद, कुवैत”
विश्व के मानचित्र पर जब कभी सभ्यता, संस्कृति, पारंपरिक मूल्यों एवं कला का उल्लेख होता है तो जिन देशों का नाम लिया जाता है, उसमें भारत वर्ष अग्रणीय श्रेणी में आता है। भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा, ज्ञान और विज्ञान का केंद्र रहा है। भारत ने हमेशा ही वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया जिसका अर्थ है यह सम्पूर्ण विश्व ही मेरा घर है।
धर्म, भाषा, जाति, वेशभूषा, खानपान के विविध रंँगों को स्वयं में समेटे भारत वर्ष अनेकता में एकता की अनूठी मिसाल पूरे विश्व में स्थापित करने में न केवल सफल है, अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। हर धर्म, पंथ और समुदाय की अपनी अलग भाषा, पहनावा और रीती रिवाज में इतनी विभिन्नता में भी भारतीयता की डोर ने सभी को आपस में बांध रखा है।
ये भारतीय विश्व के विभिन्न देशों, महाद्वीपों में अपनी संस्कृति और सभ्यता को लेकर एक विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं , जिसमें मध्य पूर्व का एक खाड़ी प्रदेश कुवैत भी है, जहां लाखों भारतीय वर्षों से निवास कर रहे हैं। कुवैत में भारत की संस्कृति, भाषा, साहित्य, कला, विज्ञान एवं धर्म आदि को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने में “भारतीय प्रवासी परिषद, कुवैत” अपना महत्वपूर्ण एवं अतुलनीय योगदान प्रदान कर रही है।
भारत और कुवैत के बीच परंपरागत रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध है, जिसका मूल कारण भौगोलिक निकटता, रोजगार के अवसर, सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्वतंत्रता की अनुभूति भारतीयों को कुवैत में कई वर्षों से होना है । “भारतीय प्रवासी परिषद, कुवैत” इस दिशा में निरंतर कार्यरत है, जो अनेक क्रियाकलापों के माध्यम से भारतीय संस्कृति,कला, त्यौहार एवं परंपराओं को जीवित रखने में सहायक है। जिसमें प्रतिवर्ष भारत के स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस को परंपरागत तरीके से मनाया जाना प्रमुख है। इसके अलावा समय समय पर भारत के प्रमुख त्यौहार जैसे दीपावली, रक्षाबंधन को धूमधाम से गीत संगीत के माध्यम से मनाना, प्रादेशिक लोकगीतों के कार्यक्रम आयोजित करना, रक्त दान शिविर लगाना, अंतर्राष्ट्रीय योग शिविर लगाना, क्रिकेट टीम आयोजन इत्यादि गतिविधियां सम्मिलित हैं, जो भारतीय मूल्यों और परंपराओं को विदेशी धरा पर जीवित रखने एवं संवर्धन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रवासी भारतीय परिषद,
नवल विश्वास लाया है,
मुखर से प्रेम का अनुपम,
धवल आभास लाया है,
उदासी की घनी छाया,
हृदय तल से मिटा कर के,
अतुल सौहार्द की मधुरिम,
सरस मिठास लाया है ।
प्रवासी भारतीय परिषद,
नया मधुमास लाया है,
नवल आशा नए सपने,
नवल उल्लास लाया है,
उमंगों की तरंगों की,
किरण संसार में बिखरा,
सदी के सूर्य सा उज्वल,
नवल आकाश लाया है।
जय हिन्द
✍️ संगीता चौबे पंखुड़ी
admin bpp